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सिंगनपुरी स्कूल की छत गिरी पालकों ने लिया बच्चों को स्कूल नहीं पहुंचाने का फैसला

सिंगनपुरी स्कूल की छत गिरी पालकों ने लिया बच्चों को स्कूल नहीं पहुंचाने का फैसला

रिपोर्टर इन्द्रमेन मार्को मंडला मध्यप्रदेश

मंडला। सिंगनपुरी प्राथमिक शाला की कक्षाएं जिस कच्चे और जर्जर हो चुके भवन में संचालित होते आ रही थीं, उसकी छत शुक्रवार की शाम के वक्त आखिर जमीन पर आ ही गई। जिससे बच्चों की वैकल्पिक बैठक व्यवस्था भी पूरी तरह खत्म हो गई है,और इस तरह खतरा भरे भवन के कमरों में बैठकर पढ़ाई करने बच्चों को स्कूल पहुंचाना बंद करने पालकगण मजबूर हो गए हैं।

समाजसेवी ग्रामीण तरुण बघेल ने जानकारी दी है,कि जनजाति बाहुल्य घुघरी विकासखंड के सलवाह से महज सात किलोमीटर दूर स्थित अहमदपुर ग्राम पंचायत के अंतर्गत पोषक गांव सिंगनपुरी आता है। जहां के स्कूल टोला में लगभग पैंसठ वर्षों से प्राथमिक शाला संचालित है। लगभग इतने ही पुराने कच्चे खपरैल और खतरे से भरे जर्जर भवन में कक्षाएं संचालित होते आ रही हैं। इस सत्र में यहां पर 40 बच्चे दर्ज हैं। कच्चे भवन की दीवारें तो दरारों से पटीं खोखली हो ही गई हैं,छत में लगी लकड़ियां भी खराब होकर टूट-टूटकर गिरती जा रही हैं।खपरे भी छत से नीचे गिरगिरकर फूटकर खराब होते गए हैं। जिससे बूंदाबांदी बारिश का पानी भी कमरों के अंदर भर जाता रहा है, गीले और नमीयुक्त कमरों में हमेशा शीत का असर बना रहता है।,जिसका बुरा असर बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ता है,और अब तो छत भी नीचे गिर गई। फर्श भी उखड़कर गड्ढों में तब्दील हो गया है।ऐसी अव्यवस्थाओं से पटे भवन के भीतर गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के बच्चे पढ़कर अपने उज्जवल भविष्य गढ़ने की उम्मीद लगाने मजबूर रहते हैं।इनके उज्जवल भविष्य के सपने के लिए सरकारी शालाओं से बढ़कर कुछ नहीं हुआ करती हैं।आज उनकी उम्मीदों पर भी सवाल खड़ा हो गया है,कि इस अव्यवस्थित और खतरे से भरे भवन की छत के गिर जाने से बची-खुची बैठक व्यवस्था भी खत्म हो गई । जिसकी जानकारी पाते ही ग्रामीण और पालक शिक्षक संघ के लोग शनिवार 28 जून को स्कूल समय में स्कूल पहुंचकर वस्तुस्थिति से रूबरू हुए और अब व्यवस्थित बैठक व्यवस्था बनते तक बच्चों को स्कूल नहीं पहुंचाने का निर्णय लेने मजबूर हो गए हैं। बताया गया है,कि शुक्रवार की शाम को स्कूल की छुट्टी हो जाने के बाद यह घटना घटित हुई है। बहुत अच्छा हुआ कि कक्षाएं संचालन के दौरान यह घटना घटित नहीं हुई। जिससे किसी भी प्रकार की जनहानि नहीं हुई है।


इस क्षतिग्रस्त भवन की जानकारी और नए भवन की मांग संस्था प्रधान के द्वारा विभाग को पत्राचार के माध्यम से लंबे समय से करते आने की भी सूचना है,पर विभाग की ओर से किसी भी प्रकार की पहल अब तक नहीं की जा सकी है, जिससे कि बच्चों के भविष्य निर्माण के लिए एक नया भवन अब तक मिल सके,और यहां पर बच्चे खुशी-खुशी पढ़ाई कर सकें । यहां पर दर्ज अनुसूचित जनजाति बाहुल्य बच्चे अच्छे सुव्यवस्थित कमरों में बैठकर अच्छी पढ़ाई करने को दशकों से तरसते ही जैसे-तैसे पांचवीं कक्षा पास हो-होकर अगली बड़ी कक्षाएं पहुंचते गए हैं।जो अच्छी शिक्षा पाने से आज भी चूकते रहे हैं।
आगे यह भी बताया गया है,कि लगभग बीस वर्ष पहले एक अतिरिक्त भवन का निर्माण कार्य शुरू हुआ था,पर यह भवन भी अधूरा ही रह गया और बनते-बनते ही इसकी छत भी पूरी तरह टूटकर नीचे गिर गयी है। जिस भवन का निर्माण कार्य पूरा भी नहीं हो सका था।यानि सरकार की लाखों की धनराशि बिना उपयोग के इस तरह पानी में डूबकर नष्ट हो गई।अभी भी गिरा हुआ मलमा जस का तस पड़ा हुआ है। जिसमें जहरीले कीड़े-मकोड़ों का डर हमेशा बना रहता है। इस मलमे में लोहे के जंग लगे नुकीले सरिए फैले हुए हैं इसके ऊपर बच्चे भी खेलते रहते हैं।कई बार तो बच्चे लोहे के नुकीले सरिए से लहू लोहान हो जाते हैं।इसी परिसर में मध्यान्ह भोजन बनाने के लिए रसोई भी है,यह इतना खराब हो गया है,कि धीमी बारिश में भी जिसकी छत से पानी कमरे के अंदर टपकता है और मध्यान्ह भोजन बनाने का काम बहुत ज्यादा प्रभावित होता है। रसोईयों को भोजन पकाने में बड़ी समस्या का सामना करना पड़ जाता है। इस ओर किसी जिम्मेदार का ध्यान नहीं जाता।और तो और ग्राम पंचायत क्षेत्र के भीतर स्थित इस तरह की सरकारी संपत्तियों की देखरेख का जिम्मा ग्राम पंचायत का रहने के बावजूद भी अब तक ऐसी जिम्मेदारी का निर्वहन कहां तक किया जा सका है,यह यह घटना बयां करती है।
अच्छी शिक्षा के लिए लालायित बच्चों और उनके पालकों की ओर से जानकारी पाकर पालक महासंघ के जिला अध्यक्ष पी.डी.खैरवार ने भी फोन माध्यम से वस्तुस्थिति से रूबरू होकर वर्तमान व्यवस्था की निंदा करते हुए पालकों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलकर ग्रामीणों की इस समस्या का स्थाई समाधान कराने का प्रयास किया जाएगा।तब तक स्थानीय निकाय ग्रामपंचायत के संयुक्त सहयोग से स्थानीय स्तर पर कोई ऐसी वैकल्पिक व्यवस्था बना ली जाए,जहां पर फिलहाल कक्षाएं लगाई संचालित हो सकें।ताकि बच्चों की पढ़ाई का ज्यादा नुक्सान न हो। इसी दौरान शासन-प्रशासन के संज्ञान में लाकर कार्यवाही आगे बढ़ाते हुए नए भवन की मांग पूरी कराई जाए।
मजबूर ग्रामीणों ने भी बच्चों की बच्चों की स्थाई बैठक व्यवस्था जल्द से जल्द बनाए जाने की अपील की है।

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